मुद्दत के बाद
मुद्दत के बाद
एक मुद्दत के बाद,
इस दिल को करार आया है,
क्यों ना हो खुद पे गुरूर,
जो, हम पर उन्हें, टूट कर प्यार आया है,
उदासियों में डूबा रहता था,
जो समां
उस पर इश्क का सुरूर,
अब ऐसा छाया है,
रेगिस्तान में भटकते,
प्यासे परिंदे को,
जैसे कहीं दूर,
जल का स्रोत नजर आया है,
था इंतजार जिस वक्त का हमें,
वो खूबसूरत पल,
आज आंखों में उतर आया है,
काश ये पल,
अब यहीं ठहर जाए,
मुद्दतों के बाद मेरा चांद,
मेरे आगोश में समाया है।।
प्रियंका वर्मा
30/11/24
Anjali korde
23-Jan-2025 06:05 AM
👌👌
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RISHITA
20-Jan-2025 05:40 AM
👌👌👌
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Arti khamborkar
19-Dec-2024 03:39 PM
amazing
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